नई दिल्ली। पिछले तीन साल पैरामिलिट्री फोर्स के जवानों के बीच नौकरी छोडऩे का ट्रेंड लगभग 3 गुना रफ्तार की तेजी से बढ़ा है। सरकार और सेना के लिए यह चिंता की बात हो सकती है। बेहतर करियर के कारण पिछले 3 साल में 27,862 जवान और अधिकारियों ने अर्धसैनिक बलों की नौकरी से स्वैच्छिक रिटायरमेंट ले रहे हैं। यह आंकड़ा 2015 से लेकर इस साल 31 जनवरी तक का है।गृह मंत्रालय की तरफ से संसद में पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार, 2017 में पैरामिलिट्री फोर्स के जिनमें बीएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, सीआईएसएफ और असम रायफल्स शामिल हैं के 14,587 जवानों/ अधिकारियों ने स्वैच्छिक रिटायरमेंट ले लिया है। 2016 में यह आंकड़ा सिर्फ 8,912 था और 2015 में तो और भी कम 3,422। गृह मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़े एक खास ट्रेंड की तरफ भी संकेत करते हैं।दो बड़े फोर्स सीआरपीएफ और बीएसएफ को बॉर्डर पर सुरक्षा के साथ देश की आंतरिक सुरक्षा के लिहाज से भी बहुत अहम माना जाता है। गृह मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के ट्रेंड इस बात की ओर संकेत कर रहे हैं कि इन दोनों ही सुरक्षा बलों में जवानों के नौकरी छोडऩे का ट्रेंड बढ़ा है। बीएसफ पर बांग्लादेश और पाकिस्तान की सीमा से सटे इलाकों में देश की सुरक्षा का जिम्मा होता है। 2015 से अब तक 11,198 लोगों ने बीएसएफ की नौकरी छोड़ दी है।
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